प्रौद्योगिकी ग्राम योजना
स्थाई विकास की अवधारणा में भौतिक / प्राकृतिक प्रणालियों सेे बदलाव और उनके प्रबंधन पर न केवल प्राथमिक जोर दिया जा रहा है, बल्कि उत्पादन को बढ़ाने के लिए अधोसंरचना को स्थाई करने और गैर अक्षीय मांगों को कम करने के लिए पारम्परिक तकनीकी के साथ उपयुक्त आधुनिक तकनीकी के एकीकृत दृष्टिकोण को अपनाने पर जोर दिया रहा है। आधुनिक दौर में प्रौद्योगिकी विकास ने नए द्वार खोल दिये हैं। पारंपरिक तकनीकों के साथ नई तकनीकों के उपयोग से ग्रामीण आबादी के सतत् एवं स्थाई विकास के लिए एक रास्ता तैयार किया जा सकता है, ताकि गांवों से पलायन को रोकने के लिए, ग्रामीण बेरोजगार युवाओं एवं सीमांत किसानों और मजदूरों को रोजगार के अवसर प्रदान किये जा सके।
ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की नीति निम्नलिखित कारकों द्वारा सुनिश्चित होना चाहिएः
- कम लागत से अनाजों और भूमि की उत्पादकता में सुधार के साथ स्थायी कृषि।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य और स्वास्थ्यगत परिस्थितियों में सुधार।
- बेहतर आवास, सुविधा।
- अतिरिक्त आय सृजन हेतु प्रौद्योगिकी व्यवस्था।
- गैर पारंपरिक ऊर्जा के लिए पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन।
- जल संरक्षण / पानी की गुणवत्ता।
- महिलाओं की स्थिति में सुधार।
ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास के दृष्टिकोण से चिन्हांकित किये गये ग्रामों में विकास हेतु निम्नलिखित क्षेत्रों की पहचान की गई है।
- कृषि
- आवास
- पर्यावरण संरक्षण
- स्वास्थ्य और सफाई
- स्व-रोजगार और अतिरिक्त आय सृजन
उद्देश्य:
प्रौद्योगिकी ग्राम का मूल उद्देश्य ग्रामीण आबादी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार अनुकुल प्रौद्योगिकियों पर प्रशिक्षण, जागरुकता एवं प्रदर्शन के माध्यम से गरीबी और बेरोजगारी को कम करना। स्थाई विकास के लिए ग्रामीण विकास हेतु प्रौद्योगिकी ग्राम के माध्यम से एक अच्छी सोच वाली कार्यनीति विकसित की गई है। ग्रामों के समग्र विकास के साथ ग्रामीण जीवन के स्तर को ऊॅंचा उठाने, कृषि भूमि की उत्पादकता को केन्द्र बिन्दु रखते हुए उन समस्त क्षेत्रों (कृषि, आवास, पर्यावरण, स्वास्थ्य एवं बेरोजगारी) की विकासी योजना जिनका सीधे तौर पर ग्रामीण जन जीवन से संबंध है को विकास हेतु समावेश किया गया है।
योजना का मुख्य उद्देश्य एवं लक्ष्य निम्नानुसार है।
- क्षेत्रीय समस्याओं का चिन्हांकन किया जाना एवं समस्याओं के आधार पर समाधान हेतु परियोजनाओं का चयन करना एवं क्रियान्वयन।
- तकनीकी / प्रौद्योगिकी का हस्तान्तरण करने में सहायता प्रदान करना।
- कृषि तकनीकी संबंधित प्रादर्शो की प्रदर्शनी स्थापित करना। ग्रामीण स्तर पर वृहद क्षेत्र में वर्तमान प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण तथा समस्याओं के समाधान हेतु निराकरण कृषि प्रौद्योगिकी केन्द्र की स्थापना।
- कम लागत वाली कृषि तकनीकी पर खेती का वृहद क्षेत्रों में प्रदर्शन जैसेः जैविक खाद एवं जैविक कीटनाशक के द्वारा जैविक खेती।
- क्षेत्र के अनुकूल प्रौद्योगिकी को अपनाने हेतु प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम संचालित करना।
- स्वरोजगार एवं आय प्राप्ति हेतु प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन एवं प्रौद्योगिकी इकाई की स्थापना।
- विभिन्न फसलों के जैव प्रौद्योगिकी उपलब्धतता द्वारा पूर्णता कृषि उत्पादन करने तकनीकी विकास।
- किसानों को ग्रामीण उद्योगों की स्थापना हेतु प्रोत्साहित एवं सहयोग प्रदान करना।
स्थापित प्रौद्योगिकी ग्राम केन्द्र :
- प्रौद्योगिकी ग्राम केन्द्र, रामपुर (ठाठापुर), जिला - कबीरधाम
- प्रौद्योगिकी ग्राम केन्द्र, सिर्री, जिला - धमतरी
- प्रौद्योगिकी ग्राम केन्द्र, भड़हा, जिला - बिलासपुर
- प्रौद्योगिकी ग्राम केन्द्र, पचावल (सनावल), जिला - बलरामपुर
प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए उपलब्ध अधोसंरचना:
क्रमांक | केन्द्र | अधोसंरचना |
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1. | प्रौद्योगिकी ग्राम केन्द्र, रामपुर, कबीरधाम |
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2. | प्रौद्योगिकी ग्राम केन्द्र, सिर्री, धमतरी |
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3. | प्रौद्योगिकी ग्राम केन्द्र, भड़हा, बिलासपुर |
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