छत्तीसगढ़ अंतरिक्ष उपयोग केंद्र
प्राकृतिक संसाधनों के प्रभावी उपयोग एवं उनका सुनियोजित प्रबंधन प्रदेश के विकास के लिये उत्प्रेरक होती है। किसी राज्य के संसाधनों पर विश्वसनीय और समय पर जानकारी विकास के लिए पुर्वाकंक्षित होती है।
वर्षों से निर्णय लेने में भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी.आई.एस) ने एक उपयोगी साधन के रूप में सार्थक भूमिका निभाई है। पारंपरिक जानकारी ज्यादातर सारणीमान प्रारूप में उपलब्ध है सारणीमान जानकारी को जी.आई.एस परतों पर प्रत्यक्ष रूप से दर्शाया जा सकता है। जीआईएस और रिमोट सेंसिंग हमें विभिन्न स्रोतों की जानकारी / डाटा एक प्लेटफॉर्म पर ला कर लक्ष्य समूह के लाभ के लिए एक वैज्ञानिक तरीके से निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
राज्य के विभिन्न विकासीय विभाग संबंधित साधन से संबंधित डेटा संग्रह और सुविधाओं के सर्वेक्षण का कार्य नियमित रूप से सम्पादित करते है। इस प्रकार एकत्र किए गए डेटा को स्थानीय संदर्भ (अक्षांश / देशांतर) के साथ देखा जाने पर डेटा के स्थानिक दृश्यता और समझ के नए आयाम जोड़े हैं।
छत्तीसगढ़ शासन राज्य में प्राकृतिक संसाधनों की विशाल क्षमता से अवगत है और अपने संसाधनों की निगरानी, शोषण और प्रबंधन की एक वैज्ञानिक प्रणाली विकसित करने के लिए उत्सुक है इस कड़ी के अंतर्गत छत्तीसगढ़ विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद रायपुर के तहत छत्तीसगढ़ अंतरिक्ष उपयोग केंद्र की स्थापना की अधिसूचना संख्या 148, दिनांक: 12 / 07 / 2004 निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ की गई है:
- छत्तीसगढ़ राज्य के लिये सुदूर संवेदन उपयोगिता एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली से सम्बंधित सभी कार्य करना ।
- छत्तीसगढ़ राज्य के लिये उपग्रह संचार माध्यम का प्रशिक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि से सम्बंधित कार्य करना।
- राज्य एवं राज्य के बाहर राष्ट्रीय परियोजनाओं का क्रियान्वयन।
छत्तीसगढ़ अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र ने पिछले कुछ वर्षों में गहन सूचना कार्यों के लिए इन-हाउस क्षमता का निर्माण किया है एवं संसाधन मानचित्रण और जीआईएस डेटाबेस निर्माण के लिए कौशल वैज्ञानिक डेटा व्याख्या की आवश्यकता होती है।